नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षा में कठपुतलियों की भूमिका से एक नई अलख जगाएंगी शिक्षिका।
रिसिया बहराइच,प्राथमिक विद्यालय बाहबोलिया महादा, शिक्षाक्षेत्र- रिसिया, जनपद- बहराइच में सहायक अध्यापिका एवं भारत स्काउट/ गाइड जिला गाइड कैप्टन के पद पर कार्यरत शिक्षिका दीपांजलि वर्मा शून्य निवेश नवाचार 2020में श्री अरविंदो सोसाइटी की तरफ से नई दिल्ली में श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” जी के हाथों राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित की जा चुकी है। शिक्षिका को कला/ क्राफ्ट के प्रति विशेष रुझान होने के कारण जनपद स्तर पर आयोजित कला/ क्राफ्ट/ कठपुतली प्रतियोगिता में विशेष स्थान बनाकर राज्य शैक्षिक संस्थान, लखनऊ में आयोजित कला/ क्राफ्ट/ कठपुतली प्रतियोगिता में अपना नाम विशिष्ट शिक्षकों की सूची में कई बार अंकित किया है। दीपांजलि जी ने बताया कि कला/ क्राफ्ट के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने से वह रुचिकर और स्थिर होती है और बच्चों में आत्मविश्वास की भावना का विकास होता है वह अपने विद्यालय में बच्चों के साथ कला/ क्राफ्ट पर विशेष कार्य करती हैं और अपनी कक्षा कक्ष को सुसज्जित कर रखी हैं। शिक्षिका जिला स्तर पर आयोजित भव्य कार्यक्रमों में रंगोली में भी सहयोग प्रदान करती रहती हैं।15 दिवसीय प्रशिक्षण में हुई शामिल सांस्कृतिक संस्थान एवं प्रशिक्षण केंद्र, नई दिल्ली के तत्वाधान में डायट पयागपुर, बहराइच के प्राचार्य श्री उदयराज जी के द्वारा दो शिक्षिका का नाम श्रीमती रश्मि प्रभा और दीपांजलि वर्मा को चयनित कर राज्य शैक्षिक संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश की तरफ से प्रशिक्षण हेतु भेजा गया। दोनों शिक्षिकाओं ने राजस्थान के उदयपुर में चल रहे 15 दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया ।यह प्रशिक्षण 3 अक्टूबर 2023 से 17 अक्टूबर 2023 तक सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र, क्षेत्रीय कार्यालय उदयपुर में सुचारू रूप से संपन्न हुआ ।प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य देश की विभिन्न संस्कृति एवं विरासत की जानकारी बच्चों तक किस तरीके से पहुंचाई जा सके और अपनी विलुप्त हो रही संस्कृति को कैसे बचाया जाए ?साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शिक्षा में कठपुतली की भूमिका के प्रयोग से शिक्षण को प्रभावी और स्थाई बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें विभिन्न प्रकार की कठपुतलियां बनाने व चलाने का अध्ययन सरकारी फैलोशिप उदयपुर, राजस्थान के माध्यम से प्रशिक्षण में कराया गया ।इस प्रशिक्षण में भारत के विभिन्न 14 प्रदेशों से आए 91 लोग शामिल थे। शिक्षिका दीपांजलि वर्मा ने बताया कि प्रशिक्षण केंद्र मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था जहां पर विभिन्न संस्कृतियों का “एक छोटे भारत के रूप”में अद्भुत संगम हो रहा है।