“विशेश्वरगंज में भारत जोड़ो यात्रा पुनः शुरू, सड़क विस्तार की मांग, सत्याग्रह की चेतावनी”।
विशेश्वरगंज में भारत जोड़ो यात्रा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर यात्रा फिर से शुरू की गई। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान को याद करना और जनसमस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना था। इस क्रम में, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रामस्वरूप, पुत्र स्वर्गीय सरजू, और स्वर्गीय भगोले प्रसाद, पुत्र स्वर्गीय चिटक, के ग्राम ककरा मोहम्मदपुर स्थित निवास स्थान पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद, यात्रा ने स्वर्गीय मनो दत्त, पुत्र स्वर्गीय लौटन, और स्वर्गीय ब्रह्मादत्त गिरि, पूर्व प्रधान ग्राम सुल्ताना माफी, के आवास की ओर रुख किया, जो कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीया इंदिरा गांधी के साथ बनारस सेंट्रल जेल में सह-जेल यात्री थे। इस अवसर पर, विशेश्वरगंज बस स्टैंड से सुल्तान माफी होते हुए ककरा मोहम्मदपुर को जोड़ने वाली सड़क मार्ग को ब्रह्मादत्त गिरि के निवास स्थान तक विस्तारित करने की जोरदार मांग की गई। इस मांग को लेकर 4 सितंबर को उप जिलाधिकारी पयागपुर को ब्रह्मादत्त गिरि के परिजनों और ग्रामवासियों द्वारा एक मांगपत्र भी सौंपा गया था। इस मांग के समर्थन में, ब्रह्मादत्त गिरि के परिजनों जैसे लालजी गिरि, राजकुमारी (पुत्रवधू), सर्वेश गिरि (भारतीय सैनिक), सोनू, अन्नू, मन्नू, लल्लू और साहबराम गोस्वामी ने घोषणा की है कि यदि 20 दिनों के अंदर सड़क पैमाइश के लिए कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो 28 सितंबर, शहीद भगत सिंह जी की जयंती के दिन सत्याग्रह किया जाएगा।इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए पदयात्रा में भाग लेने वाले कांग्रेस नेताओं से सहयोग की अपील की गई। इनमें कांग्रेस नेता विनय सिंह, कांग्रेस सेवादल के जिला अध्यक्ष रमेश चंद्र मिश्र, पूर्व जिला अध्यक्ष इंद्र कुमार यादव, और दांडी यात्री सहित अन्य नेता शामिल थे। इन सभी ने अपने समर्थन का आश्वासन दिया। पदयात्रा में केसरी पासवान, अंगद कुमार, शिवभोले गिरि, उमेश तिवारी, छेदी सिंह, अयोध्या सिंह, लल्लू सिंह सहित अनेक स्थानीय लोग भी शामिल हुए। पदयात्रा का संचालन पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष सरदार राम प्रताप सिंह ने किया, जिन्होंने “हम भारत के रखवाले हैं, हम अमर तिरंगे वाले हैं” जैसे राष्ट्रीय गीतों का उद्घोष किया। इन गीतों ने प्रतिभागियों में जोश और उत्साह का संचार किया। यह यात्रा न केवल एक ऐतिहासिक स्मृति का प्रतीक थी, बल्कि आज की सामाजिक और राजनीतिक आवश्यकताओं को भी रेखांकित करती है, जिसमें जनता की आवाज़ को सशक्त करने और जनसमस्याओं के समाधान की मांग शामिल है।