दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में 14 सितंबर को हिंदी सप्ताह के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रख्यात साहित्यकार लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने हिंदी भाषा के विस्तार और उसकी वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के अस्तित्व में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। हिंदी के अनुपालन और संवर्धन पर जोर देते हुए उन्होंने युवाओं को इसे संस्कारों से परिपूर्ण करने वाली भाषा बताया।कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर राजेश गिरि ने हिंदी को मातृभाषा के साथ कर्म की भाषा के रूप में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में भी हिंदी के महत्व को बढ़ाने की जरूरत बताई। राजभाषा कार्यान्वयन समिति के समन्वयक डॉ. वेद मित्र शुक्ल ने आगामी हिंदी सप्ताह की रूपरेखा प्रस्तुत की और हिंदी को कर्तव्य भाषा कहा।समारोह में अन्य वक्ताओं ने भी हिंदी के महत्व और उसकी समृद्धि पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मानसी चौधरी और डॉ. भूमिका गर्ग ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. बरुण कुमार मिश्र द्वारा दिया गया।