राहुल गांधी के संभल दौरे पर सियासी घमासान, डीएम ने पड़ोसी जिलों को लिखा पत्र, कहा- रोकें सीमा पर।
संभल। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हालिया हिंसा के बाद माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। प्रशासन स्थिति सामान्य करने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन सियासी हलचल थमने का नाम नहीं ले रही। बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संभल आने का ऐलान किया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने उन्हें रोकने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने संभल में 10 दिसंबर तक किसी भी राजनीतिक दौरे पर पाबंदी लगाई है। जिले में धारा 163 लागू होने के कारण राहुल गांधी को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है। डीएम ने गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, गाजियाबाद और अमरोहा के प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि राहुल गांधी को संभल की सीमा में प्रवेश से रोका जाए।
एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा, “संभल में पहले से ही प्रतिबंध लागू हैं। किसी को भी यहां आने की इजाजत नहीं है। यदि राहुल गांधी आते हैं तो उन्हें नोटिस जारी किया जाएगा।”
कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग
राहुल गांधी को संभल आने से रोकने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी का कहना है कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है। वहीं भाजपा ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद में संभल हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने भाजपा पर साजिश के तहत हिंसा कराने का आरोप लगाया। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “अखिलेश यादव अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।”
क्या हिंसा थी प्री-प्लान?
संभल हिंसा 24 नवंबर को उस वक्त भड़क उठी जब एक स्थानीय कोर्ट के आदेश पर मुगलकालीन शाही मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था। हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए। अदालत में दायर वाद में दावा किया गया है कि मस्जिद की जगह कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।
मामले में नया मोड़ तब आया जब फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से पाकिस्तान में बने खोखे और अमेरिका निर्मित कारतूस बरामद किए। पुलिस इन सबूतों के आधार पर यह जांच कर रही है कि क्या इस हिंसा के पीछे कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश थी।
फिलहाल प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है और घटना की गहन जांच जारी है।