
पौष पूर्णिमा पर त्रिमुहानी संगम में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, भक्तिमय हुआ वातावरण.
गोण्डा। जनपद गोण्डा के परसपुर ब्लॉक स्थित सूकर खेत पसका के त्रिमुहानी संगम पर पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। भोर से ही सरयू नदी के स्नान घाट पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भक्तों ने स्नान कर पापों के नाश और मोक्ष की कामना की। सरयू मैया के जयकारों से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया।स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान वाराह के दर्शन कर पूजन-अर्चन किया और मेले का आनंद लिया। इस अवसर पर जगह-जगह भंडारों का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने प्रसाद ग्रहण किया। कल्पवासियों की कुटिया में राम नाम का संकीर्तन और सुंदरकांड पाठ हुआ, जिसने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।त्रिमुहानी संगम पर स्नान को लेकर धार्मिक मान्यता है कि यहां स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वाराह रूप धारण कर हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को मुक्त कराया। यहां भगवान वाराह के दर्शन कर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण मानते हैं।यह स्थल गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्मस्थली राजापुर के निकट स्थित है। यहां उनके गुरु नरहरिदास जी का मंदिर है, जहां तुलसीदास जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी। सरयू और घाघरा नदियों के संगम पर स्थित यह पावन स्थल सदियों से धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र है।श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए मेला क्षेत्र में अस्थायी पुलिस चौकी बनाई गई। पसका चौकी प्रभारी सावन कुमार सिंह ने बताया कि उपनिरीक्षक और महिला-पुरुष आरक्षियों को घाट और मेला परिसर में तैनात किया गया। प्रभारी निरीक्षक दिनेश सिंह ने मेला क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश पर रोक के लिए बैरियर लगाए। पुलिस क्षेत्राधिकारी कर्नेलगंज सौरभ वर्मा और अन्य अधिकारियों ने मेला परिसर में लगातार गश्त की।पौष पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर क्षेत्रीय विधायक अजय सिंह, तुलसी जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष डॉ. स्वामी भगवदाचार्य, प्रधान पसका पिंकू सिंह, और विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह ने सरयू मैया की महाआरती की। इस दौरान पूरा क्षेत्र भक्तिभाव और आस्था से ओतप्रोत दिखा।स्नान और पूजा के बाद महिलाओं और बच्चों ने जमकर खरीदारी की। झूले, मौत का कुआं, और वेरायटी शो जैसे मनोरंजन के साधनों का आनंद लिया।यह पावन स्थल अपनी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता के कारण पूरे जनपद और आसपास के जिलों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।