एडिटर अमरनाथ शास्त्री गोण्डा
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया है कि किसी भी कार्यालय पर 10 कार्मिकों से ज्यादा कार्मिकों के कार्य करने पर वहां आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना अनिवार्य होगा, यह कमेटी कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धी शिकायतों की जांच हेतु कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष द्वारा गठित की जायेगी।
यह जानकारी देते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने बताया कि जनपद स्तर के ऐसे प्रत्येक शासकीय, अर्द्ध शासकीय एवं अशासकीय (निजी) विभाग, संगठन, उपक्रम, स्थापन, उद्यम, संस्था, शाखा अथवा यूनिट में जहां कार्मिकों की संख्या 10 से अधिक है, ऐसे सभी कार्यालयों के नियोजकों द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धी शिकायतों की जांच हेतु ’आन्तरिक परिवाद समिति’ का गठन किया जायेगा। यह समिति व्यथित महिला कार्यस्थल पर हुये लैंगिक उत्पीड़न से सम्बन्धित शिकायत उस कार्य स्थल हेतु गठित आन्तरिक परिवाद समिति में दर्ज करा सकती है। समिति का गठन उस कार्यस्थल पर वरिष्ठ स्तर पर नियोजित महिला की अध्यक्षता में होगा, जिसमें दो सदस्य सम्बन्धित कार्यालय से एवं एक सदस्य गैर सरकारी संगठन से नियोजक द्वारा नामित किये जायेंगे।
समिति के कुल सदस्यों में से आधी सदस्य महिलायें होंगी। श्री सोनी ने बताया कि इसके अतिरिक्त ऐसे कार्यस्थल जहां कार्मिकों की संख्या 10 से कम है, वहां की व्यथित महिला द्वारा इस प्रकार के लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा गठित ’स्थानीय समिति’ में दर्ज करायी जा सकती है। यदि कोई नियोजक अपने कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर सिद्व दोष ठहराया जाता है, तो नियोजक पर रू0 50 हजार तक का अर्थदण्ड अधिरोपित किये जाने का प्राविधान है तथा नियोजक दूसरी बार सिद्ध दोष ठहराये जाने पर पहली दोष सिद्वि पर अधिरोपित दण्ड से दुगने दण्ड का दायी होगा।
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने अपील किया है कि ऐसे सभी नियोजक अपने स्तर से समिति गठन करा लें।