भक्ति दो प्रकार की होती है एक सकाम भक्ति और दूसरी निष्काम भक्ति
दोनों में फर्क क्या है ? फर्क ये है सकाम भक्ति वो होती है जिसमे व्यक्ति अपनी इच्छा पूर्ति के लिए भजन करता है अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए पूजा करता है और एक भक्ति वह होती है जिसमे व्यक्ति भगवान को प्रसन्न करने के लिए और अपनी आत्मा को आनंद देने के लिए भजन करता है और वही सच्ची भक्ति कहलाती है हमारे लिए देवी देवता इच्छा पूर्ती करने का साधन हैं हर चीज़ में हमारी सकामता है और इससे ही हमारी भक्ति क्षीण होती जाती है कभी भगवान् के पास २ मिनबाट करने के लिए बैठे ? भगवान् कहते है रोज़ रोज़ मांगने ही आता है कभी मुझसे मिलने भी आया कर ये पूछने भी आ जाया कर के प्रभु कैसे हो खड़े ही रहते हो थक तो नहीं जाते कभी पूछा उनसे ? हम कहते है न के भगवान् जबाब नहीं देते हैं जवाब उनको नहीं देते जो समर्पित नहीं होते जिस दिन पूर्ण समर्पित हो जायेंगे न उस दिन मूर्ती भी बोल उठेगी
उक्त विचार श्री मद भागवत कथा ज्ञान सप्ताह के द्वितीय दिवस की बेला पर कथा व्यास पंडित सुनिधि देव मिश्र जी ने व्यक्त किए.
कथा श्रवण के दौरान प्रदीप कुमार मिश्र. प्रमोद कुमार मिश्र. अशोक कुमार मिश्र. बबलू मिश्र. दिनेश कुमार मिश्र. अनूप कुमार मिश्र. शिवा.शौर्य आदि महिलाएँ ग्राम वासी उपस्थित रहे.
ग्राम सभा देव दत्त नगर मिझोरा परस पुर यज्ञमान श्री संगम लाल मिश्र।