- मंगल को प्रसन्न करने के लिए उज्जैन मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा का आयोजन किया जाता है
महाकालेश्वर उज्जैन ! आचार्य पं दुर्गेश शास्त्री जी बताते है कि भात यानी कि चावल के जरिए शिवलिंग रूपी मंगल को ठंडक पहुंचायी जाती है। इस पूजा में सर्वप्रथम गणेश और गौरी का पूजन किया जाता है। इसके बाद भात यानी चावल से शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है। कहते हैं शिव के पसीने से मंगल का जन्म हुआ है। वे बहुत उग्र है, इसलिए उनका रंग भी लाल है। मंगल की उग्रता को कम करने के लिए देवताओं ने दही और भात का लेपन मंगल पर किया था, इससे मंगल की उग्रता शांत हुई। तभी से मंगल दोष के निवारण के लिए भात पूजा किए जाने का विधान है। भात पूजा करने से कुंडली में मंगल के कारण उत्पन्न हो रहे दोष की शांति होती है और व्यक्ति ऊर्जावान बनता है।
🚩सभी नवग्रहों के अधिपति भगवान शिव हैं और मंगल ग्रह का जन्म भी भगवान शिव के पसीने की बूंद से हुआ है, इसलिए मंगल ग्रह को भगवान शिव के पुत्र होने की भी प्रतिष्ठा प्राप्त है, इसलिए सावन में मंगल पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। साथ ही उज्जैन स्थित मंगलनाथ मंदिर (जिसे मंगलग्रह का जन्म स्थान माना जाता है), वहां मंगल देव शिवलिंग के रूप में ही विराजित हैं। ऐसे में मंगल दोष पूजा के लिए उज्जैन आए
आचार्य पंडित जी उज्जैन, महाकालेश्वर में सभी प्रकार की दोष पूजा के लिए प्रसिद्ध पंडित और ज्योतिष में से एक हैं। पंडितजी उज्जैन में की जाने वाली सभी प्रकार की दोष पूजा और अनुष्ठान के साथ सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी और बहुमुखी हैं और कई वर्षों से उचित तकनीक (वैदिक और शास्त्रोक्त) के साथ उनका प्रदर्शन कर रहे हैं। पंडित जी उज्जैन में रामघाट पर काल सर्प दोष पूजा, मंगल दोष पूजा, पितृ दोष पूजा आदि जैसे सभी प्रकार के कुंडली दोष के विशेषज्ञ हैं।