Editor-in-chief अमरनाथ शास्त्री
शिक्षा के मंदिर से अभूतपूर्व महाक्रांतिकारी परिवर्तन की आंधी बनेगा पीडब्ल्यूएस शिक्षालय —आर के पाण्डेय एडवोकेट।
—1 ईंट 1 रुपए से शिक्षालय निर्माण।
—निर्धन बेसहारा बच्चों को निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
प्रयागराज। स्वतंत्र हिंदुस्तान के 76 वर्षों के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली बार एक सामाजिक संस्था परमेंदु वेलफेयर सोसाइटी (पीडब्ल्यूएस) द्वारा 1 ईंट 1 रुपए के जन सहयोग से अयोध्या विकास प्राधिकरण क्षेत्र के परम शक्ति धाम गोरसरा शुक्ल में एक ऐसे शिक्षा के मंदिर (शिक्षालय) का निर्माण कराया जा रहा है जोकि पूर्णतया लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार जनता के लिए जनता के द्वारा जनता की व्यवस्था का स्वरुप बनने के साथ समाज के सभी निर्धन बेसहारा बच्चों को पूर्णतया निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराकर समाज में 100 प्रतिशत साक्षरता के साथ भारत वर्ष को शिक्षित, विकसित व आत्मनिर्भर विश्वगुरु राष्ट्र बनाने के पावन उद्देश्य पर आधारित है।
उपरोक्त के संदर्भ में पीडब्ल्यूएस प्रमुख आर के पाण्डेय एडवोकेट (हाई कोर्ट इलाहाबाद) ने बताया कि विगत 76 वर्ष के लोकतांत्रिक इतिहास में भारत वर्ष की लगभग सभी व्यवस्था यहां तक कि शिक्षा जगत में भी जातिवादी, वर्गवादी, क्षेत्रवादी, वीआईपी, व्यवसायिक व्यवस्था लागू होने से वास्तविक निर्धन बेसहारा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है तथा सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के मानक में बहुत अंतर है जबकि आईसीएससी, आईएससी, सीबीएससी, स्टेट बोर्ड, मदरसा बोर्ड, हिंदी माध्यम, अंग्रेज़ी माध्यम, उर्दू माध्यम, संस्कृत माध्यम आदि तमाम शैक्षिक व्यवस्था से भी असमानता का माहौल है। ऐसे में देश में वन नेशन, वन एजुकेशन, गारंटीड एजूकेशन, क्वालिटी एजूकेशन, फॉर आल एजूकेशन के तर्ज पर समाज के सभी निर्धन बेसहारा बच्चों को भी शिक्षित होकर आगे बढ़ने का अधिकार होना चाहिए। आर के पाण्डेय ने बताया कि उपरोक्त परिस्थितियों में ही पीडब्ल्यूएस परिवार ने जन सहयोग से एक ऐसे शिक्षा का मंदिर (शिक्षालय) निर्मित व संचालित करने का संकल्प लिया है जोकि प्रत्येक हिन्दुस्तानी को समानता के अधिकार के साथ एक समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के जरिए सभी के समुचित विकास का अवसर उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षा को समानता के साथ भ्रष्टाचारमुक्त, संस्कारयुक्त, रोजगारपरक बना दिया जाए तो हमारा देश शिक्षित, विकसित, आत्मनिर्भर विश्वगुरु बन जाएगा।