गोण्डा उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी के आदेश के अनुपालन में एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव नितिन श्रीवास्तव अपर जिला जज/एफटीसी के निर्देशों के अनुक्रम में आज दिनांक-15.06.2023 को गोण्डा के तहसील तहसील करनैलगंज के ग्राम पंचायत गोनवा में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार, प्रीलिटिगेशन स्तर के वैवाहिक वाद व मध्यस्थता के लाभ विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा के सचिव श्री नितिन श्रीवास्तव अपर जिला जज/एफटीसी के निर्देश पर तहसील करनैलगंज केें नायब तहसीलदार रोहित कुमार की अध्यक्षता में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार व मध्यस्थता के लाभ विषय पर षिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता कर रहे नायब तहसीलदार द्वारा उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुये बताया गया कि जीवन को मुख्यतः तीन अवस्थाओं में बांटा गया है, बाल्यावस्था, युवावस्था तथा वृद्धावस्था। जिस प्रकार बाल्यावस्था के बाद युवावस्था आती है, ठीक उसी प्रकार युवावस्था के बाद वृद्धावस्था आती है, इसलिए हर कोई सदैव युवा रहने का स्वप्न देखता है। वृद्धावस्था में उसे समाज एवं परिवार की नजरों में बोझ, अनुपयोगी आदि समझे जाने से उसे मानसिक पीड़ा होती है। जो व्यक्ति कुछ समय पहले तक सबके लिए विशिष्ट था, महत्वपूर्ण था, अचानक ही उसे बोझ समझा जाने लगता है, जब उसके मान-सम्मान व भावनाओं का महत्व काफी कम हो जाता है और वह मानसिक रूप से स्वयं को अकेला पाता है तो वह उसके जीवन का सबसे कठिन समय होता है। आज हममें से बहुत से लोग बुजुर्गों के महत्व से भली-भांति परिचित नही है। बड़े-बुजुर्गों से परिवार में अनुशासन बना रहता है। अक्सर प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिए बुजुर्गों के अनुभव बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। वृद्धावस्था उसके आराम करने की अवस्था होती है। वह जीवन भर दूसरों की जरूरतों को पूरा करने और अपने कर्तव्यों को निभाने में ही लगा रहता है। सभी व्यक्तियों को मानसिक रूप से यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि वृद्धावस्था एक न एक दिन सबके जीवन में आती है। वृद्धों के साथ सम्मानजनक व्यवहार न करना पूर्णतः अनैतिक है, इसलिए हमें उनका महत्व समझते हुए उनका सम्मान करना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए। उनकी उपस्थिति तथा मार्गदर्शन परिवार और समाज दोनों के लिए कल्याणकारी है। यदि आज हम उनका सम्मान करेंगे, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ी से सम्मान पाने के अधिकारी होंगे, किन्तु आज कुछ परिवारजनों द्वारा अपने वृद्ध माता-पिता का न तो ख्याल रखा जाता है, और न ही रहने के लिए उन्हें अपने घर में स्थान दिया जाता है, इसलिए उन्हें वृद्धावस्था में वृद्ध आश्रम जैसे आश्रय गृह का सहारा लेना पडता है, जहां पर उन्हें अपना बचा-खुचा जीवन अपने बच्चों के संताप में गुजारना पड़ता है। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुये केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के हितार्थ संचालित योजनायें यथा वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना, 60 से 80 वर्ष के वृद्धजनों को इनकम टैक्स में छूट, रेल के किराये में छूट व बसों में सीेटें आरक्षित की गयी हैं। इसके अतिरिक्त नायब तहसीलदार द्वारा यह भी जानकारी दिया गया कि वर्तमान में सभी योजनायें कम्प्यूटरीकृत हो गयी हैं, इस कारण अब सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने से राहत मिल गया है और समस्त जांच आनलाइन कम्प्यूटर के माध्यम से करके सभी योजनाओं का त्वरित लाभ दिया जाने लगा है। मध्यस्थता एवं लोक अदालत के लाभ की जानकारी देते हुए नायब तहसीलदार द्वारा बताया गया कि इस प्रक्रिया में विवाद का अविलम्ब व शीघ्र समाधान हो जाता है, समय व खर्चो की बचत होती है। न्यायालय की जटिल प्रक्रिया से राहत मिलती है। यह एक अत्यधिक सरल एवं निष्पक्ष प्रक्रिया होती है, विवाद का हमेशा के लिए प्रभावी एवं सर्वमय समाधान हो जाता है। यह पूर्णतः एक अनौपचारिक एवं निजी प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया सामाजिक सद्भाव कायम रखने में सहायक होती है तथा लोक अदालत में निस्तारित मामले की कोई अपील न तो उच्च न्यायालय में होती है और न ही सर्वोच्च न्यायालय में होती है।
लोक अदालत में वाद के निस्तारण के पश्चात उभय पक्षकार द्वारा जमा की गयी कोर्ट फीस को प्राप्त करने के वे अधिकारी हो जाते हैं। इस प्रकार लोक अदालत में निस्तारित वाद सें विवाद का अन्तिम रूप से निपटारा हो जाता है। नायब तहसीलदार द्वारा प्रीलिटिगेशन स्तर के वैवाहिक वाद के निस्तारण के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया गया कि परिवार में पति एवं पत्नी के मध्य विभिन्न कारणों से उत्पन्न हुए विवाद से पूरा परिवार बिखर जाता है। पीड़ित पक्ष बिना मुकदमा किये अपने विवाद को सुलझा सकता है। इस सम्बन्ध में एक प्रीलिटिगेशन प्रार्थना पत्र पति अथवा पत्नी अथवा उनके नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय में स्वयं अथवा किसी व्यक्ति के माध्यम से दिया जा सकता है। प्रीलिटिगेशन प्रार्थना पत्र में प्रार्थी/प्रार्थिनी का नाम व पता, फोन नम्बर, फोटो एवं पहचान पत्र के साथ देना होगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के विशेषज्ञों द्वारा पक्षकारों को समझा-बुझाकर कर समझौता कराया जायेगा। पक्षकारों के द्वारा आपसी सहमति से किया गया समझौता वैवाहिक विवादों का समाधान करेगा और मुकदमेबाजी से छुटकारा देेगा।
विधिक साक्षरता शिविर के दौरान लिपिक वैष्णवदत्त, प्रभारी राजस्व निरीक्षक रमेश चन्द्र ग्राम प्रधान गोनवा राकेश कुमार, पराविधिक स्वयं सेवक नान्हू प्रसाद यादव व संजय कुमार दूबे व भारी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।