स्वास्थ्य इकाइयों पर आयोजित हुए विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रम।
जनपद बहराइच 17 मई को विश्व उच्चरक्त चाप दिवस के अवसर पर सीएमओ कार्यालय समेत जनपद की समस्त स्वास्थ्य इकाइयों पर जन जागरूकता अभियान और स्क्रीनिंग कैम्प के साथ हस्ताक्षर अभियान चलाकर मनाया गया। सीएमओ कार्यालय सभागार में सीएमओ डॉ० सतीश कुमार सिंह की अध्यक्षता में जन जागरूकता गोष्ठी और हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए सीएमओ डॉ० सतीश कुमार सिंह ने कहा कि वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाने का उद्देश्य हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करना है। हाइपरटेंशन को हाई बीपी भी कहा जाता है। इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत ’द वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग’ ने साल 2005 से तय की। तब से लेकर आज तक हर साल 17 मई को इसे सेलिब्रेट किया जाने लगा। उन्होंने कहा कि बीपी कभी भी हाइपरटेंशन का विकराल रुप ले सकती है। ऐसे में बेहद जरूरी होता है कि आप इसके कारण को समझे। हाइपरटेंशन का कारण खराब लाइफस्टाइल है। इसके अलावा नींद की कमी, मोटापा, ऑयली चीजें ज्यादा खाना, अधिक नॉनवेज खाना। ये सब चीजें भी हारपरटेंशन को बुलावा देती हैं। आज कल के युवा लोगों को ज्यादा काम करना पसंद नहीं आता। उन्हें सिर्फ आराम की लाइफ जीना है, जिस वजह से उन्हें बीपी की बीमारी घेर लेती है और आगे चलकर यही हाइपरटेंशन का कारण बनती है। आज की युवा पीढ़ी टेंशन कम करने के लिए शराब, सिगरेट आदि मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। इसी वजह से वह हाइपरटेंशन जैसी बीमारी के शिकार हो जाते हैं।उप मुख्य चिकित्साधिकारी एवं एनसीडी के नोडल डॉ० अनुराग वर्मा ने बताया कि हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर को ’साइलेंट किलर’ कहा जाता है। यह खुद गंभीर समस्या नहीं है लेकिन इसकी वजह से हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज, किडनी फेल होना जैसी गंभीर और जानलेवा समस्याओं का खतरा होता है। चिंता की बात यह है कि बहुत से लोग हाई बीपी की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं क्योंकि उनके पास पूरी जानकारी नहीं है। इसके लक्षणों की शुरुआत में पहचान नहीं हो पाती है जिसकी वजह से रोगी समय पर इलाज नहीं करा पाते हैं। उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० पी० के० बांदिल ने कहा कि 120/80 मिमी एचजी से कम ब्लड प्रेशर की संख्या नॉर्मल रेंज मानी जाती है। 130 से ऊपर जाना ज्यादा सीरियस नहीं है लेकिन हालांकि अगर यह 140/90 हो गया तो यह कंडीशन हाइपरटेंशन यानी ब्लड प्रेशर मानी जाती है। उन्होंने बताया कि ब्लड प्रेशर बढ़ने की दो वजह हैं जिसमें पहला कैलोरी का अधिक सेवन करना, जिससे मोटापा बढ़ता है और हाई बीपी की समस्या होती है। दूसरा है नमक का अधिक सेवन। रोजाना 5 ग्राम से कम नमक खाना चाहिए जबकि एक्सपर्ट्स 2400 मिलीग्राम से कम की सलाह देते हैं। एनसीडी क्लीनिक के डॉ० पी० तिवारी ने बताया कि वे लोग जो दिन में बहुत ज्यादा स्मोकिंग करते हैं उन्हें भी हाई ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम हो सकती है। स्मोकिंग करने से ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती हैं। इसके चलते ब्लड प्रेशर का लेवल हाई होने लगता है। बहुत ज्यादा अल्कोहल का सेवन करने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इतना ही नहीं हाई बीपी के मरीज अगर शराब का बहुत ज्यादा सेवन करते हैं तो उनपर ब्लड प्रेशर की दवाओं का असर भी कम होता है। लगातार और लंबे समय तक शराब पीने से क्रोनिक हाइपरटेंशन हो सकता है। क्रोनिक हाइपरटेंशन कोरोनरी आर्टरी की बीमारी का एक बहुत बड़ा खतरा है।स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने कहा कि बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेना भी हाइपरटेंशन को बढ़ावा देता है। नींद की कमी से तनाव हार्मोन में वृद्धि हो सकती है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। उच्च रक्तचाप को प्राकृतिक रूप से ठीक करने के लिए डाइट का रोल भी बहुत खास होता है। अपने भोजन में फाइबर से भरपूर चीज़ें लें। प्रोसेस्ड फूड्स से परहेज करें। मैग्नीशियम और ओमेगा -3 फैटी एसिड वाले फूड आइटम्स उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। विश्व उच्चरक्त चाप दिवस की जागरूकता के लिए जिला महर्षि चिकित्सालय में संचालित एनसीडी क्लीनिक में स्वास्थ्य शिविर लगाकर मरीजों की उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि का परीक्षण कर उनकी काउंसलिंग और फिजियोथेरेपी सेवा भी प्रदान की गई। इस अवसर पर मेंटल हेल्थ के डॉ० विजित जैसवाल, डीपीएम सरजू खान, एफएलसी विवेक श्रीवास्तव, फहीम अहमद, मो० हारून, एनसीडी क्लीनिक से फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ० रियाजुल हक, परामर्शदाता पुनीत शर्मा, लैब टेक्नीशियन संतोष सिंह, नर्सिंग ऑफिसर बृज प्रकाश आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम में समाज सेवी संस्था इंडियन रेड क्रॉस सोसिसिटी ने भी प्रतिभाग किया। रेड क्रॉस सोसायटी के चेयरमैन सरदार सरजीत सिंह ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए बताया कि सभी लोगो द्वारा हाइपरटेंशन के साथ साथ अन्य बीमारियों से बचाव हेतु आम जनमानस को जागरूक किया जाए जिससे स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण हो सके।