ग्राम सभा दहोरा पंडित पुरवा के सदानन्द मिश्र के यहाँ भागवत कथा चल रही है. जरवल रोड से पधारे पंडित सुनिधि देव मिश्र ने कहा कि।
भगवान् अवतार क्यों लेते है ? जिसके संकल्प से सृष्टि का सृजन और विनाश हो जाता है , उस ईश्वर को किसी को मारनें के लिए जन्म लेना पड़़े , यह बात बड़े हास्यास्पद-सी लगती है । इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भागवतकार कहते है :- ‘ न ते भवेषस्य भवस्य कारणम् , विना विनोदम् वत् तर्कयामहे ‘ – महाराज ! इनको तो आप वैसे भी मार सकते थे , पर लीला का विस्तार नहीं कर सकते थे , इसीलिए आप तो वस्तुतः लीला का आनंद देने के लिए ही अवतार लेते हैं । लीला का आनंद का तात्पर्य है जिस काम को एक मिनिट में कर सकते हो उसे आनंद लेते हुए दो घण्टें में पूरा करें । परन्तु ध्यान रखियेंगा ‘ईश्वर’ अपनें इस अभिनय से हम सबकों शिक्षा देना चाहते हैं । लीला विस्तार का लाभ यह है कि यद्यपि यह विस्तार तो सच्चा नही है , परन्तु विस्तार (नाटक) में जो संदेश है , वह सत्य है । इसीलिए रावण या कंस को मारने के लिए प्रभु को आने की आवश्यकता नही थी , किन्तु भगवान् वस्तुतः आनंद देने तथा आनंद लेने के लिए ही विश्व के रंगमंच पर अवतार लेकर लीला का विस्तार करते हैं । लीला के माध्यम से प्रभु दिखाते है कि जो अन्याय करता है ,उसको कष्ट और दण्ड भोगना पड़ता है , जो सत्कर्म करता है उसके साथ ईश्वर रहते हैं । भगवान की लीलाओं और चरित्र को देखने के बाद हमें चाहिए कि बुराई छोड़़ हम सत्कर्म में प्रेरित हो ।राज किशोर, रामू लोधी, ऋषि कुमार, रजत कुमार, सहित ग्राम वासी महिला, पुरुष उपस्थित रहे